|| द्यूतं छलयतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम् ।| भावार्थ : मैं छल करने वालों में जूआ और प्रभावशाली पुरुषों का प्रभाव हूँ । श्रीमद्भगवद्गीता >अथ दशमोऽध्याय:- विभूतियोग